Thursday, September 15, 2016

Visarjan Manovikar Ka By Archana Nayudu

''विसर्जन मनो विकारो का ''
अब गणेशजी के आगमन के उत्साह के बाद उनकी विदाई के समय निकट आ रहा है। इतने दिनों तकहमने पूर्ण श्रद्धा ,निष्ठां से उनकी सेवा की ,और मनोकामनाओ की पिटारी सामने खोल दी। भोले भगवान गणपति ने हमारी बातो में आकर खूब सारे आशीर्वादों की बरसाते भी कर दी ,पर क्या हम सही अर्थो में उन्हें अपनी पूजा समर्पित कर पाये। …?सोचिये। …गणेशजी का आगमन आनंद का पर्व है. और विसर्जन आत्मशुद्धि का कारण है। मनो विकारो को हवन की ज्वाला में भस्म करने की हमारे घरो की पुरानी परंपरा है। क्षमा , को मन में धारण कीजिये, प्रेम को नैनों से बरसा कर देखिये , वाणी की मधुरता को आत्मसात कीजिये ,… क्रोध ,ईर्ष्या ,लोभ जैसी मनोव्याधियो के उपचार का वरदान मांगिये ,.... …। गणेशजी यही दोहराने हर साल आते है. ताकि हम अपना मूल्यांकन खुद कर सके। ..........अपने व्यवहारों का सत्यापन कर सके। । शायद तभी हम उनके वरदानों के भागी बन पायेंगे